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अंजस सोशल मीडिया
निसवासुरि ग्रासै जुरा
हरिदास निरंजनी
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निसवासुरि
ग्रासै
जुरा,
मन
सोवै
कहा
गंवार।
लालच
तजि
मै
तै
मनी,
भजि
राम
नाम
ततसार॥
स्रोत
पोथी
: श्री महाराज हरिदासजी की बाणी सटिप्पणी (निरपख मूल)
,
सिरजक
: हरिदास
,
संपादक
: मंगलदास स्वामी
,
प्रकाशक
: निखिल भारतीय निरंजनी महासभा, दादू महाविद्यालय, जयपुर
,
संस्करण
: प्रथम
जुड़्योड़ा विसै
सुमिरण
लोभ
निरंजनी सम्प्रदाय
राम