जीवण दाता वादळ्यां, थांसूं जीवण पाय।
भल लूआं बाजो किती, मुरधर सहसी लाय॥
भावार्थ:- मरुधरा को जीवन प्रदान करने वाली बादळियां भी तुमसे अपना जीवन प्राप्त करती हैं, अतः लूओं, चाहे जितनी चलो, मरुधरा तुम्हारे ताप को स्वेच्छा से सहन करेगी।