दो आतुर मन मिलण नै आमां सामां आय।

भेट्यां पहलां धकधकै लूआं जीव जळाय॥

भावार्थ:- मिलनातुर दो हृदय गले से मिलने के लिए एक-दूसरे के पास आते हैं पर उष्मा आधिक्य के कारण परस्पर अंग-स्पर्श सह्य नहीं होता, इस तरह लूअें उन्हें बहुत दुःखित करती हैं।

स्रोत
  • पोथी : लू ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : चतुर्थ
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