दो आतुर मन मिलण नै आमां सामां आय।
भेट्यां पहलां धकधकै लूआं जीव जळाय॥
भावार्थ:- मिलनातुर दो हृदय गले से मिलने के लिए एक-दूसरे के पास आते हैं पर उष्मा आधिक्य के कारण परस्पर अंग-स्पर्श सह्य नहीं होता, इस तरह लूअें उन्हें बहुत दुःखित करती हैं।