कोरा-कोरा धोरिया डूंगा-डूंगा डैर।

आव रमां अे वादळी ले-ले मुरधर ल्हैर॥

भावार्थ:- बादली, आओ! मरुधर में लहरें ले-ले कर, कोरे-कोरे टीलों और गहरे-गहरे डैरों मे रमण करें।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : छठा
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