छोड़ मरोड़, छिपा मती धण रो देख हवाल।

वता वता अे वादळी साजन रा सै हाल॥

भावार्थ:- यह मरोड़ छोड़ दे, छिपा मत, देख धन्या का बुरा हाल हो रहा है। बादली, साजन के सब समाचार शीघ्र बता दे।

स्रोत
  • पोथी : बादळी ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह बिरकाळी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर ,
  • संस्करण : छठा
जुड़्योड़ा विसै