एकै सब तन रमि रह्यो, चेतन जड़ के मांहि।

माया दर्शत है सभी, ब्रह्म लखत है नाहिं॥

स्रोत
  • पोथी : संत चरणदास ,
  • सिरजक : संत चरणदास ,
  • संपादक : त्रिलोकी नारायण दीक्षित ,
  • प्रकाशक : हिंदुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद ,
  • संस्करण : प्रथम
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