बिज्जुलियाँ निळज्जियाँ, जळहर तूँ ही लज्जि ।
सूनी सेज विदेस पिव, मधुरै मधुरै गज्जि ।।
भावार्थ:- बिजलियाँ तो निर्लज्ज हैं। हे जलधर, तुम तो लज्जित हों। मेरी शय्या सूनी है। मेरा प्यारा विदेश में है और तुम ऐसे मधुर मधुर शब्द करते हुए गरज रहे हो।