कवि कल्लोल Marwar राजस्थान रा सुप्रसिद्ध लोककाव्य 'ढोला मारू रा दूहा' रा रचयिता। जन्म-काल, स्थान, वंश आद रै विषय में जाणकारी रो अभाव।
अकथ कहाणी प्रेम की बाबहियौ नै विरहणी भरै पळट्टै भी भरे बिज्जुलियाँ निळज्जियाँ चंदा तो किण खंडियौ डूँगर केरा वाहळा ए वाड़ी ए वावड़ी हियड़ै भीतर पैस करि इहाँ सु पंजर मन उहाँ पंथी हाथ संदेसड़ौ राति सखी इण ताल मइं यहु तन जारी मसि करूँ