भौ सागर मन माछला, साईं सच्चा कीर।
प्रेम जाल मांझे पड्या,तेइ ज उतर्या तीर॥
संसार रूपी सागर में मन ही मछली है। इस मन रूपी मछली को संसार से हटाकर स्वयं में नियोजित करने वाला बहेलिया परमात्मा है। जो प्रेम रूपी जाल में फंस जाते हैं। वे ही संसार- समुद्र के परली पार पहुंचते हैं।