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साइट: परिचय
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बखना वाणी बरसणी
बखना जी
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बखना
वाणी
बरसणी,
बरसै
गहर
गंभीर।
सूका
नै
हरिया
करै,
गुरवाणी
का
नीर॥
स्रोत
पोथी
: बखना जी की बाणी
,
सिरजक
: बखना
,
संपादक
: मंगलदास स्वामी
,
प्रकाशक
: श्री लक्ष्मीराम ट्रस्ट, जयपुर
,
संस्करण
: प्रथम
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