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आयी नेड़ी मिलण नै
चंद्र सिंह बिरकाळी
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आयी
नेड़ी
मिलण
नै,
तीतरपंखी
रेख।
हरखी
सारी
मुरधरा,
चांद-जळैरी
देख॥
स्रोत
पोथी
: बादली
,
सिरजक
: चंद्र सिंह
,
प्रकाशक
: राजस्थानी ग्रंथागार
,
संस्करण
: 7