आभो धररायो अबै आयो सावण मास।
पूरै मन सूं पूरसी आज धरा री आस॥
भावार्थ:- आकाश धर्रा रहा है, अब सावन का महीना आ गया है। आज पूरे मद से यह धरा की आशा पूर्ण करेगा।