सिटी पैलेस उदयपुर के केंद्र में स्थित एक भव्य राजमहल है। इसका निर्माण 1553 में महाराणा उदयसिंह ने चितौड़ से आकर करवाया था। बाद में हर पीढ़ी में इसके निर्माण कार्य लगभग शुरू रहे। पिछौला झील के एक ओर बने इस महल की भव्यता देखते ही बनती है। ऐसा उल्लेख है कि एक साधू, जिनकी पास में एक पहाड़ी पर कुटिया थी, के कहने पर इस जगह सिटी पैलेस के निर्मित होने का निर्णय लिया गया। साथ ही साथ यह जगह सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण थी। सिटी पैलेस के मुख्य प्रवेश द्वार को बड़ी पोल कहते हैं। केन्द्रीय महल का नाम गार्डन पैलेस है। आगे चलकर तीन मेहराबों वाला द्वार है जिसे ‘त्रिपोलिया’ कहते हैं। त्रिपोलिया के बाद तोरण पोल और माणक चौक के सामने एक अखाड़ा है, जिसे युद्ध के समय परीक्षण करने के उद्देश्य से बनाया गया था। यहाँ का अंतिम द्वार हाथीपोल कहलाता है। यूरोपीय और राजपूत शैली की वास्तुकला से निर्मित यह महल राजस्थान के विख्यात महलों में से एक है।
सिटी पैलेस के भीतर गलियारे टेढ़े-मेढ़े हैं, जिन्हें संघर्ष के समय में निपटने के लिए बनाया गया होगा। पैलेस के मुख्य ब्लॉक में गणेश ड्योढ़ी छत से एक दरवाज़े के ज़रिए पहुँचा जा सकता है। दरवाज़े के दोनों ओर दीवारें हैं, जिन पर राजपूत शैली में युद्धरत जानवरों की तस्वीरें बनी हुई हैं। प्रवेश द्वार पर हाथियों को बाँधने के लिए एक बड़ा पत्थर रखा हुआ है। महल के मुख्य आकर्षणों में मोती महल, कृष्ण विलास, मोर चौक, सूरज गोखड़ा, दिलखुश महल, सूर्य चौपड़, शीश महल, शंभू निवास, भीम विलास, अमर विलास, फतहप्रकाश महल आदि विशिष्ट रूप से शामिल हैं। ऊपर लिखित सभी निर्माणों की अपनी अलग ढंग की पहचान हैं।
यहाँ के फतहप्रकाश महल में महाराणा सज्जनसिंह ने लन्दन से कुछ कीमती वस्तुएं मंगवाई थीं, हालाँकि पहुँचने से पहले महाराणा सज्जनसिंह की मृत्यु हो गयी थी। इसमें रत्न-जड़ित कालीन, बेड, टेबल, क्रिस्टल कुर्सियां आदि रखी हुई हैं, ऐसा उल्लेख मिलता है कि इनका इस्तेमाल नहीं हुआ है। यहीं का अमर विलास सिटी पैलेस का सबसे ऊपर का हिस्सा है। इसमें फव्वारे, टावर, हेंगिंग गार्डन लगाये गए हैं। यहाँ के शीश महल का निर्माण महाराणा प्रताप ने अपनी महारानी अजबदे के लिए करवाया था। बरस 1969 में मेवाड़ के महाराणा भगवत सिंह ने सिटी पैलेस और जनाना महल के एक हिस्से को संग्रहालय में बदल दिया गया। यह संग्रहालय जनता के लिए खुला है। यह महल भगवत सिंह द्वारा स्थापित महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन से संचालित होता है।