चाँद बावड़ी दौसा जिले के आभानेरी गांव में स्थित है। यह राजस्थान की प्रमुख बावड़ियों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह विश्व की सबसे गहरी और बड़ी बावड़ी है। लगभग 20 मीटर गहरी और 30 मीटर चौड़ी इस बावड़ी के निर्माता के बारे में बावड़ी की खुदाई एवं जीर्णोद्धार में एक शिलालेख मिला है, जिसमें इसके निर्माता राजा चाँद का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि प्रख्यात शासक मिहिर भोज का ही दूसरा नाम चाँद है। बावड़ी के डिजाइन और संरचना से पता चलता है कि इसे बड़ी जल-आपूर्ति को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया गया होगा। किवदंती यह भी है कि इस बावड़ी को एक रात में भूतों ने बनाया था। बावड़ी में तक़रीबन 3500 सीढियाँ है। ये सभी सीढियाँ विपरीत पिरामिड के क्रम में है।
इस बावड़ी के पास ही हर्षद माता का मंदिर है। जिसे हरसिद्धि माता मंदिर भी कहा जाता है। सरंचना और स्थापत्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दोनों का निर्माण समय लगभग आसपास ही रहा होगा। इस बावड़ी को अँधेरे-उजाले की बावड़ी भी कहा जाता है। बावड़ी में इस्तेमाल पत्थरों पर कमाल की नक्काशी की गई है। यहाँ हिन्दू देवी-देवताओं के चित्र भी उकेरे गए हैं। बावड़ी के दाईं ओर गणेश और बाईं ओर महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमाएं लगी हैं। गणेश मंदिर के शीर्ष पर एक महिला की तस्वीर बनी हुई है। श्रेष्ठ स्थापत्य के कारण यह बावड़ी बहुत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि इस बावड़ी में सुरंगनुमा गुफा है, जो 'अलूदा की बावड़ी' और 'भांडारेज बावड़ी' की सुरंग से जुड़ी हुई हैं। महामेरु शैली में निर्मित यह बावड़ी लगभग भूलभुलैया की तरह है।
फ़िलवक़्त चाँद बावड़ी गणगौर, एकादशी आदि के समय जनता के लिए खुला रहती है। चाँद बावड़ी देखने देसी-विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। सरकार ने इस लोकप्रियता के मध्यनजर आभानेरी में 2008 में एक सांस्कृतिक उत्सव, जिसे आभानेरी महोत्सव कहते हैं, शुरू किया। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग हुई है। वर्तमान में चाँद बावडी एवं हर्षद माता मंदिर दोनों ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन हैं। पिछले कई सालों से यहाँ भ्रमण के लिए बाक़ायदा शुल्क तय कर दिया गया है।
बावड़ी में प्रवेश का समय सुबह 8:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है।