घाव पर कवितावां

घाव शरीर पर बने या लगे

ज़ख़्म और मन पर लगे ठेस दोनों को ही प्रकट करता है। पीड़ा काव्य के केंद्रीय घटकों में से एक है।

कविता5

घाव-सुख

पारस अरोड़ा

रजवट रजथांण री

संतोष शेखावत ‘बरड़वा’

छिब उण री

संजय आचार्य 'वरुण'

घावां रो अरथ

दीनदयाल ओझा