अठै दीसै

धोरां मांय

अळघी भांव

पाणी पाणी...!

बतळावै मिरगला-

जोयां लाधै कोनी

पीवण नै पाणी

कठै है पाणी?

हां, कठै है पाणी??

तिरसा ठाडी

धोरा असली

पाणी नकली...

नकली पाणी...!

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली राजस्थानी लोकचेतना री तिमाही ,
  • सिरजक : नीरज दइया ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी साहित्य-संस्कृति पीठ
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