चाँदनी पर ग़ज़ल

चाँदनी चाँद की रोशनी

है जो उसके रूप-अर्थ का विस्तार करती हुई काव्य-अभिव्यक्ति में उतरती रही है।

ग़ज़ल1

लै'रां लै'रां दौड़ै चांद

राजूराम बिजारणियां