हास्य कविता पर कवितावां

हास्य कविता अेङी कविता

जिण नै पढ़'र, सुण'र हियै मांय आनन्द, या हास रो भाव अर हास्य रस री उत्पति हूवै।

कविता1

जाती-जाती करगी टा-टा

बिहारी शरण पारीक