पांखी पर ग़ज़ल

पांखी सूं अर्थ अठै उडण

वाळै हर पक्षी सूं है। राजस्थानी री लिखित कविता-जातरा अर लोक सहित्य में पांखी पर विशेष साहित्य मिळै। कठैई इणरो अर्थ आजादी सूं जोड़े तो कठैई जग छोड़ण में। अठै प्रस्तुत कवितावां पांखी सबद रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है।

ग़ज़ल2

चंडाळ चौकड़्यां रै बख में

राजेंद्र स्वर्णकार