पांखी पर गीत

पांखी सूं अर्थ अठै उडण

वाळै हर पक्षी सूं है। राजस्थानी री लिखित कविता-जातरा अर लोक सहित्य में पांखी पर विशेष साहित्य मिळै। कठैई इणरो अर्थ आजादी सूं जोड़े तो कठैई जग छोड़ण में। अठै प्रस्तुत कवितावां पांखी सबद रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है।

गीत10

काठो राख काळजो

धनराज दाधीच

हेरो नं नणदल का बीरा

राजेन्द्र सोलंकी

कुमकुम सूँ

बद्रीलाल ‘दिव्य’

सोवन थाळ

गजानन वर्मा

बन मोरिया रे

कृष्ण बिहारी ‘भारतीय’

कबूतराँ को जोड़ो

रघुराजसिंह हाड़ा

बिणजारा रो गीत

त्रिलोक गोयल

सुण टीटूड़ी—दो

पृथ्वीराज गुप्ता

पंखीड़ा

मनीषा आर्य सोनी