सात दिनां नह चंद उगौ, पतसाह लगौ हट पुन्न करायौ।
आठम के दिन ऊग निसाकर, देख दिलेसुर यूं फुरमायौ।
ईसर ऐ परमेसर है अपना जिनको जस आप वधायौ।
ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥