धरेही को ज्ञान धरेही को ध्यान, धरेही के गीत घरै घर गावैं।
धरे को बमेक धरे को बिचार, धरे को ही नांव बड़ौ कै दिखावैं॥
धरेही की बात धरेही की च्यंत, धरेही की घात अनेक मिलावैं।
धरेही सु लैन धरेही सु दैन, हो रज्जब राम धरे ह्योही बतावैं॥