दादु को आसन ब्रह्म सिंहासन,

तापरि दास गरीब विराजै।

सन्तन में सुखदायक लायक,

जोग जुगति लिये निज गाजै।

ग्यान रु ध्यान सबै विधि पूरण,

धीर गम्भीर महामुनि छाजै।

हो छीतर ओपमा नारद की छवि,

दास गरीब सबै सिरताज॥

स्रोत
  • पोथी : पंचामृत ,
  • सिरजक : छीतरदास ,
  • संपादक : मंगलदास स्वामी ,
  • प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम