छीतरदास 1543-1623 Dhundhar दादू पंथी संत कवि। रचनावां में घणकरी ध्यान, धर्म अर गुरु महिमा सूं सम्बंधित।
आइ मिलैं गुरु दादू कौं जे जन अधर धरा सूं रंग अधर धरा सूं संग अगम ही चाल अगम ही ज्याल ब्रहम ही ज्ञान रु ब्रह्म ही ध्यान ब्रह्म स्वरूप भया मिलि ब्रह्म मै दादु को आसन ब्रह्म सिंहासन देव अलेख की सेव करे नित हंस स्वरूप ह्वै मोती चुग्या हरि परम पुरुष के पंथ चल्या जिन राम रिझाई कियो अपने वसि