कैरव पंडव जुद्ध जुरै, रथ हाक के पारथ जुद्ध जीतायौ।
क्षोण अठारह फौज खवाय के, जेथ टीटोरि को वंस बचायौ।
राख लियौ ग्रभवास परीक्षत, पंडव सो हथणापुर पायौ।
ईसरदास की बेर दयानिध, नींद लगी कन आळस आयौ॥