बिपता बुरी बलाय, वीरां नै कर दै विकळ।

कायर जो घबराय, चकित हुवै किम, चकरिया॥

भावार्थ:- हे चकरिया, विपत्ति बहुत बुरी बला है, जो वीरों को भी व्याकुल कर देती है। यदि इससे कायर घबरा जाए, तो आश्चर्यचकित क्यों होता है?

स्रोत
  • पोथी : चकरिये की चहक ,
  • सिरजक : साह मोहनराज ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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