सब रै होत समान, नाक, कान, कर, पद, नयन।

पावत भाग्य प्रमाण, चिणा चूरमा, चकरिया॥

हे चकरिया, सभी मनुष्यों के नाक-कान-हाथ-पैर-नेत्र एक समान होते हैं, परंतु (अपने-अपने) भाग्य के अनुसार कोई तो चने पाता है और कोई (स्वादिष्ट मिष्ठान्न) चूरमा। आशय यह है कि भाग्यानुसार ही फल-प्राप्ति होती है।

स्रोत
  • पोथी : चकरिये की चहक ,
  • सिरजक : साह मोहनराज ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
जुड़्योड़ा विसै