उद्दम करौ अनेक, अथवा अणउद्दम करौ।
होसी निहचै हेक, रांम करै सो राजिया॥
मनुष्य चाहे कितने ही उधम करे अथवा न करे, किन्तु, हे राजिया! निश्चय ही होता वही है, जो ईश्वर करता है।