सुख में प्रीत सवाय, दुख में मुख टाळौ दियै।
जो की कहसी जाय, रांम कचेड़ी राजिया॥
जो लोग सुख में तो सवाई प्रीति दिखाते है किन्तु दुःख पड़ने पर मुँह छिपा लेते है, हे राजिया! वे ईश्वर की अदालत में जाकर क्या जवाब देंगे?