मुख ऊपर मिठियास, घट मांही खोटा घड़ै।

इसड़ां सूं इकळास, राखीजे नह राजिया॥

जो मनुष्य मुँह पर तो मीठी-मीठी बातें करते है, किन्तु मन-ही-मन हानि पहुँचाने वाली योजनाएँ रचते है, ऐसे लोगो से, हे राजिया! कभी मित्रता नही रखनी चाहिए।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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