दुष्ट सहज समुदाय,गुण छोड़ै अवगुण गहै।

जोख चढ़ी कुच जाय, रातौ पीवै राजिया॥

दुष्टों का समुदाय गुण छोड़ कर अवगुण ग्रहण करता है, क्यों कि यह उनका सहज स्वभाव है, जिस प्रकार, हे राजिया! जोंक स्तन पर चढ़ कर भी (दूध पीकर) रक्त ही पीती है।

स्रोत
  • पोथी : राजिया रा सोरठा (राजिया रा सोरठा) ,
  • सिरजक : कृपाराम खिड़िया ,
  • संपादक : शक्तिदान कविया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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