मंड्यौ नंदघर मेळ, ब्रज में बँटै बधावणा।

तट जमाना रै तीर, रमियौ वसुदे राव उत॥

भावार्थ:-नन्द के घर में समारोह होने लगा, ब्रज में बधाइयां बँटने लगी। वसुदेव का पुत्र यमुना के किनारे रास में रम गया।

स्रोत
  • पोथी : द्रौपदी-विनय अथवा करुण-बहत्तरी ,
  • सिरजक : रामनाथ कविया ,
  • संपादक : कन्हैयालाल सहल ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर (राज.)
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