कीधोड़ा उपकार, नर कृतघण जांणै नहीं।
लासक त्यांरी लार, रजी उडावौ राजिया ॥
जो लोग कृतघ्न होते है, वे अपने गये दूसरों के उपकार को कभी नहीं मानते, इसलिए, हे राजिया! ऐसे निकृष्ट व्यक्तियों के पीछे तो धुल फेंको।