लड़कापण प्रहलाद, आद अंत कीधौ अवस।
उण री राखी याद, सिंघनाद कर सांवरा॥
भावार्थ:- प्रह्लाद बालक था। तुमने आदि से अन्त तक उसकी रक्षा की। (जब प्रह्लाद के पिता हिरण्यकशिपु ने उससे यह पूछा कि क्या इस खम्भे में भी तुम्हारा भगवान है तो भगवान नरसिंहरूप धारणकर उसी खम्भें में से प्रकट हो गए थे और उन्होंने हिरण्यकशिपु का वध कर डाला था।) इसी बात को लक्ष्य में रखकर द्रौपदी कह रही है कि हे श्याम! तुम अपने भक्त प्रहलाद को कभी भुले नहीं, अपने भक्त की इच्छानुसार सिंहनाद करके तुम प्रकट हो गये थे और उसकी रक्षा की थी।