गुण सूं तजै न गांस, नीच हुवै डर सूं नरम।
मेळ लहै खर मांस, राख पड़ै जद राजिया॥
नीच मनुष्य भलाई करने से कभी दुष्टता नहीं छोड़ता, वह तो भय दिखाने से ही नम्र होता है, जिस प्रकार, हे राजिया! गधे का मांस राख डालने से ही सीझता है।