अणव्हैती व्है आज, हुई न आगै होण री।
कैरव करै अकाज, आज पितामह ईखतां॥
आज अनहोनी हो रही है, न भूतकाल में कभी ऐसी घटना घटित हुई न भविष्य में कभी घटित होगी। आज भीष्म पितामह के देखते हुए भी कौरव इस प्रकार का निंदनीय कार्य कर रहें हैं।