प्रभु कीनी प्रतिपाळ, मात उदर में मास नव।

देसी वोहि दयाल, चिंता मत कर, चकरिया॥

भावार्थ:- हे चकरिया, जिस प्रभु ने माता के उदर में हमारा नौ मास तक पालन-पोषण किया, वहीं कृपालु अब हमें भी (भोजन) देगा। तू (पेट-पालन की तनिक भी) चिंता मत कर (और निश्चिंत रह)

स्रोत
  • पोथी : चकरिये की चहक ,
  • सिरजक : साह मोहनराज ,
  • संपादक : भगवतीलाल शर्मा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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