भव तूं जाणै भेव, वेध्यो मछ जिण बार रौ।
देव देव सहदेव, बेल करै तो आ बखत॥
सहदेव को संबोधित करती हुई द्रौपदी कहती है- संसार में उस मत्स्य के रहस्य को तू भली भाँति जानता है। हे देव देव सहदेव! अगर तुम्हें सहायता करनी है तो सहायता करने का यही समय है- ऐसा वक्त फिर कब हाथ आयेगा?