भली बुरी जो बात, होणी थी सो हो गई।
रोज़ वही दिन रात, चरचा खोटी, चकरिया॥
भावार्थ :- हे चकरिया, अच्छी अथवा बुरी जो भी बात होनी थी, वह तो हो गई। अब हमेशा रात-दिन उस पर निरंतर विचार (चक-चक) करते ही रहना व्यर्थ है (बुरी बात है) ।