मूरख रख रे मून, रो घर-घर मत रोवणा।
चाँच दई सो चून, चटपट देसी, चकरिया॥
हे चकरिया, औरों के घर-घर जाकर अपना दुखड़ा मत रो। हे मूर्ख, मौन धारण कर ले। जिस परमात्मा ने चोंच दी है, वह भोजन भी देगा।