अबळा बाळक एक अरज करूं ऊभी अठै।
टाबर ध्रुव री टेक, तैं राखी वसुदेव तण॥
भावार्थ:- अबला और बालक तो एक समान होते है, मैं यहाँ खड़ी हुई आपसे प्रार्थना कर रही हूँ। हे वसुदेव के पुत्र! बालक ध्रूव की टेक तूने ही रखी थी। ध्वनि यह है मैं भी तो अबला हूँ, मेरी भी पुकार सून।