नाम निरंजन नीका साधो नाम निरंजन नीका।
तीरथ बरत थोथरे लागें जप-तप संजम फीका॥
भजन बंदगी पार उतारै समरथ जीवन जीका।
करम कांड ब्योहार करत है नाम अभय पद टीका॥
कहा भयो छत्र की छांह चलैया राजपाट दिहली का।
नाम सहित बेवतन भला है दर दर माँगै भीखा॥
आदि अनादि भक्ति है नौधा सुनो हमारी सीखा।
ग़रीबदास सतगुरु की सरनै गगन मंडल में दीखा॥