रामजी सुन ज्यो म्हारी बात।
दिन में मारा नैण बरसग्या, चैन पड़े ना रात॥
आप किण जगा बिराजो, बा बता दो ठोड़।
घंणां-घणां रा कारज सार्या, कांई म्हामें खोट॥
कियां हुआ नाराज़ रामजी, कांई हो गई चूक।
सोया हुय्या कई दिन बितग्या, प्यास लगे ना भूख॥
अबकी बेड़ा पार करो नी, दरसन री है आस।
फूली रो-रो कह रही है, राम ने अरदास॥