”गिरस्तियां सारू तौ दुनिया अर जमारौ सुरग-नरक है। भरपूर धन अर सोनौ हाथ में व्है तौ संसार सुरग सूं ईं वत्तौ है अर तोटायला वास्तै नरक सूं ईं वत्तौ दुखदाई है।”

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-5) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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