”दुनिया में कीं अैड़ी अजोगती बात कोनीं जकौ मिनख पार नीं पटक सकै। विग्यांन रा करार रै आपै तौ मिनख सूरज नै आभा सूं तोड़ जमीं में बूर सकै अर मन करै जित्ता आभा में नवा सूरज उछाल सकै।”

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-5) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार
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