ग़ज़ल5 अबलावां रो अपहरण, डाकुआं री आड़ में उगतो सूरज राम-राम सा थोथी रीत निभार्या लोग न्यारी न्यारी सोच मिनख री मिली निजर तो म्हैं घबरायो
ताड़केश्वर शर्मा राणुसिंह राजपुरोहित विश्वनाथ शर्मा विमलेश छोटूराम मीणा प्रेम शेखावत पंछी फारूक़ आफरीदी कैलाश मनहर कवियो जोगीदान