ग़ज़ल5 कंप्यूटर ज्यूं भाजै छै कीकर लागै जग चोखो है जिका जळम सूं गेला है मतळब सूं वै बात करे मोटी रातां तड़का मोटा
ताड़केश्वर शर्मा राणुसिंह राजपुरोहित विश्वनाथ शर्मा विमलेश छोटूराम मीणा प्रेम शेखावत पंछी फारूक़ आफरीदी कैलाश मनहर कवियो जोगीदान