मंगत बादल
चावा कवि-लेखक। अलेखूं विधावां में लेखन। साहित्य अकादेमी रौ सिरै अर बाल साहित्य पुरस्कार।
चावा कवि-लेखक। अलेखूं विधावां में लेखन। साहित्य अकादेमी रौ सिरै अर बाल साहित्य पुरस्कार।
जन्म: 01 Jul 1949
डॉ. मंगत बादल रौ जलम 01 जुलाई 1949 नै सिरसै जिलै रै कृष्ण नगर गाँव मांय हुयौ। राजस्थानी साहित्य में वांरी ख्याति एक कहाणीकार, व्यंग्यकार अर अनुवादक रै रूप मांय रैई है। मंगत बादल रौ गद्यकार रूप भौत ठावो है। पंजाबी लोक-परिधि में रैवास कारण वांरी रचनावां में भाषाई संक्रमण लखावै। वांरा निबंध लोक अर जग दीठ दोनां नै एक सागै, एक ई दीठ सूं देखै। ‘रेत री पुकार’, ‘दसमेस’, ‘मीरां’, ‘सावण सुरंगो, ‘ओसरयो’ , ‘बात री बात’, ‘सूनी हथाई’, ‘भासा री टकसाळ’, ‘भेड़ अर ऊन रो गणित’, ‘कुदरत रो न्याव’, ‘मोहन आलोक: व्यक्तित्व एवं कृतित्व’, ‘नाग देवता अर बीजी लोक कथावां’ आद वांरी टाळवी पोथियां है। वांरी रचनावां में भारतीय प्रजातंत्र रौ आकरो जथारथ बेबाकी सूं पाठकां सामीं आवै। राजस्थान भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर रौ 'सूर्य मल्ल मीसण शिखर पुरस्कार अर 'कुदरत रो न्याव' बाल पोथी माथै साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली रै बाल-साहित्य पुरस्कार सूं वै सम्मानित है।