लालनाथ जी Marwar जसनाथी संप्रदाय रा चावा संत कवि। आत्मानुभूति री मर्म वेदना सूं संबंधित साखियां अर पदां रा रचैता।
अलख पुरी अलगी रही अवल गरीबी अंग बसै भली बुरी दोनूं तजो ध्यानी नहीं शिव सारसा हसां तो मोती चुगै जोवन हा जद जतन हा करसूं तो बांटे नहीं पीछै सूं जम घेरसी प्रेम कटारी तन बहै सांई बड़ो सिलावटो ऊमर तो बोळी गई