ग़ज़ल6 जठै जठै उजियारा व्हैला दुसमनां सूं तू निभाणू छोड़ दे दूसरी गंगा ल्याणी है बस्ती बस्ती सौर हुयो है मोहबत री बातां, मत कर
ताड़केश्वर शर्मा राणुसिंह राजपुरोहित विश्वनाथ शर्मा विमलेश छोटूराम मीणा प्रेम शेखावत पंछी फारूक़ आफरीदी कैलाश मनहर कवियो जोगीदान